Thursday, 17 October 2013

♥♥पत्थर का नगीना...♥♥♥

♥♥♥♥♥♥♥पत्थर का नगीना...♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥
हमने पत्थर का नगीना, अपनी किस्मत में जड़ा है!
दर्द लेकिन बाहें खोले, अब भी रस्ते में खड़ा है!

काटने को काट लेंगे, बिन तेरे ये जिंदगी पर ,
बिन तुम्हारे जिंदगी का, इम्तहां बेहद कड़ा है!

चंद लोगों ने भले ही, नाम दौलत में किया पर,
आज भी भारत का मुफलिस, देखो सड़कों पे पड़ा है!

लिखने को तो लिखते बेशक, लोग के ढेरों किताबें,
पर वो उम्दा है जो जिसके, सीने में ये दिल बड़ा है!

"देव" उसने मेरी चाहत को, यहाँ ठुकराया लेकिन,
फिर भी मेरा दिल न जाने, प्यार की जिद पे अड़ा है!"

..............…चेतन रामकिशन "देव"......................
दिनांक-१८.१०.२०१३

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