Friday, 18 October 2013

♥♥अब तुम्हारे गेसुओं में...♥♥

♥♥♥♥♥अब तुम्हारे गेसुओं में...♥♥♥♥♥♥♥
अब तुम्हारे गेसुओं में, प्यार का मौसम नहीं!
प्यार की कसमों-वफ़ा में, लग रहा के दम नहीं!
आज तुम हमसे बने हो, इस तरह से अजनबी,
साथ मेरा छोड़कर भी, आंख तेरी नम नहीं!

आज बेशक जा रहे हो, साथ मेरा छोड़कर!
कांच से नाजुक मेरा दिल, एक पल में तोड़कर!
एक दिन लेकिन जहाँ में, तुम बहुत पछताओगे!
जब कभी तुम अपने दिल को, देखो टूटा पाओगे!

दर्द का सागर मिला है, ये जरा भी कम नहीं!
आज तेरे गेसुओं में, प्यार का मौसम नहीं 

मेरे दिल में बद्दुआ न, कोई भी तुमसे गिला!
मान लूँगा मेरे हाथों ही, हमारा घर जला!
"देव" तुमको याद मेरी, देखो उस दिन आएगी!
जब तेरी आँखों की निंदिया, दर्द में छिन जाएगी! 

जिंदगी तो जीनी ही है, साथ बेशक तुम नहीं!
आज तेरे गेसुओं में, प्यार का मौसम नहीं!"

….....…चेतन रामकिशन "देव"................
दिनांक-१८.१०.२०१३

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