Friday 18 October 2013

♥♥चंद्रमा की श्वेत किरणें...♥♥

♥♥♥♥♥चंद्रमा की श्वेत किरणें...♥♥♥♥♥♥♥
चंद्रमा की श्वेत किरणें, भरके अपने अंजुली में!
कर रहा हूँ लेप उसका, शब्द रूपी हर कली में !

चन्द्र किरणों की छुअन से, शब्द उद्धृत हो रहे हैं!
चांदनी का साथ पाकर, वो अलंकृत हो रहे हैं!
चांदनी की पायलों ने, गीत में सरगम भरी है,
चांदनी के साथ मिलकर, भाव झंकृत हो रहे हैं!

चांदनी ने प्राण भेजे, फूल में, फल और फली में!
चंद्रमा की श्वेत किरणें, भरके अपने अंजुली में!

आज हम अपनी सखी संग, चांदनी में संग चलेंगे!
चांदनी की रौशनी में, प्रेम के उपवन खिलेंगे!

चांदनी का रूप समरस, गाँव, कस्बे और गली में!
चंद्रमा की श्वेत किरणें, भरके अपने अंजुली में!"

….........…चेतन रामकिशन "देव"..................
दिनांक-१८.१०.२०१३

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