Sunday, 20 October 2013

♥♥परी.♥♥

♥♥♥♥♥♥♥♥परी.♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥
मैंने परियों की कहानी, बचपने में जो सुनी थी,
देखकर तुझको लगे ये, तु वही सुन्दर परी है!

तूने वश में कर लिया है, मेरे मन को, मेरे दिल को,
तु निधि है अपनेपन की, प्रेम भावों से भरी है!

जब से तूने रंग दिया है, प्यार के रंगों से मुझको,
तब से मेरी जिंदगी ये, पतझड़ों में भी हरी है!

बिन तेरे मैं जी रहा था, बस उदासी, नाखुशी में,
तूने ही हमदम सजावट, जिंदगानी में करी है!

प्यास मन की बुझ गयी है, तेरी इन नजदीकियों से,
बूंद बनकर जब से तू जो , मेरे दामन में गिरी है!

जब तुम्हारे पास आकर, मैंने जो तुमको निहारा,
तब से शर्म-ओ-हया से, पास आने में डरी है!

"देव" मुझको बिन तुम्हारे, कोई सरगम न सुहाए,
तेरी वाणी की मधुरता, मेरे जीवन में भरी है!"

….......…चेतन रामकिशन "देव"..............
दिनांक-२०.१०.२०१३

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