Tuesday 22 October 2013

♥♥♥प्रेम के धागे...♥♥♥

♥♥♥♥♥♥♥♥♥प्रेम के धागे...♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥
प्रेम के धागों से निर्मित, आज ये आकाश लगता!
चंद्रमा भी आज देखो, मुझको मेरे पास लगता!

होने तो सारी दुनिया, सारा आलम खुबसूरत,
पर जहाँ में मेरे दिल को, एक तू ही खास लगता!

तेरी आंखे झील सी हैं, तेरी बोली में शहद में है,
और तेरा दिल ये मुझको, प्रेम का आवास लगता!

आँखों में आंसू तेरे बिन, और चहरे पर उदासी,
बिन तेरे मेरा ये जीवन, मुझको तो वनवास लगता!

"देव" जब से मिल गए हो, मुझको तुम इस जिंदगी में,
तब से हर दिन, हर सवेरा, मुझको तो मधुमास लगता!"

…............…चेतन रामकिशन "देव".....................
दिनांक-२२.१०.२०१३

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