Sunday, 12 January 2014

♥♥तुम पराये हो...♥♥

♥♥♥♥♥तुम पराये हो...♥♥♥♥♥
हाँ सही है के तुम पराये हो!
पर मेरे दिल में तुम समाये हो!

अब तो उस ख़त को मुझको दे भी दो,
जिसको अरसे से तुम छुपाये हो!

है वहम मेरा या हक़ीक़त है,
क्या मुझे दिल में तुम वसाये हो!

दूर करके मैं तुम्हें जी न सकूँ,
मेरे इतने करीब आये हो!

देखकर चाँद तुमको लगता ये,
जैसे अम्बर में मुंह छुपाये हो!

घर का दरवाजा बंद करके तुम,
मेरी ग़ज़लों को गुनगुनाये हो!

"देव" अनपढ़ मैं कुछ नहीं जानूं,
प्यार तुम ही मुझे सिखाये हो! "

......चेतन रामकिशन "देव"…....
दिनांक-१२.०१.२०१४

1 comment:

Rajendra kumar said...

बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति,लोहड़ी कि हार्दिक शुभकामनाएँ।