Monday, 13 January 2014

♥♥दर्द की राह...♥♥

♥♥♥♥♥दर्द की राह...♥♥♥♥♥
दर्द की राह पे जब भी सहे छाले मैंने!
अपने आंसू बड़ी हिम्मत से संभाले मैंने!

नहीं लिख सकता ग़ज़ल, गीत न कहानी मैं,
सिर्फ स्याही से किये शब्द ये काले मैंने! 

उसने ही मेरी चाहतों को बेअसर बोला,
रूह तक जिसको यहाँ की थी हवाले मैंने,

सामने देखो नयी कोंपलें निकल आयीं,
तेरे एहसास जो ये ओस में डाले मैंने!
  
भर गया खुशबु से आंगन का हर कोई कोना,
फूल जो सूखे, किताबों से निकाले मैंने!

मेरी तन्हाई में ये मुझसे बात कर लेंगे,
इसीलिए रहने दिये घर में ये जाले मैंने!

"देव" दुश्मन ने कमी कोई भी नहीं की पर,
अपनी हिम्मत से यहाँ खतरे ये टाले मैंने!"

......चेतन रामकिशन "देव"…....
दिनांक-१३.०१.२०१४

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