Tuesday, 28 January 2014

♥♥प्यार की निशानी..♥♥

♥♥♥♥♥♥♥प्यार की निशानी..♥♥♥♥♥♥♥♥
मेरी बेचैन निगाहों को तुम सताती हो !
सामने आऊँ तो पलकों को तुम झुकाती हो!

जब नहीं मिलता मैं तुमसे तो बेक़रारी में,
मेरी तस्वीर को सीने से तुम लगाती हो!

प्यार है मुझसे तुम्हें, कहने मैं ये डर कैसा, 
नाम सुनकर के मेरा, तुम क्यूँ चौंक जाती हो!

बात मैं तेरी सहेली से, कभी करता जो,
बड़ी मायूसी में गुस्से से, मुँह बनाती हो!

कहना चाहती हो मगर लफ्ज़ नहीं फूटें तो,
अपनी ख़ामोशी से हर बात कहे जाती हो!

मुझको देने के लिए प्यार की निशानी में,
एक रुमाल पे तुम फूल को सजाती हो!

"देव" तुम दिन में मेरे घर में उजाला लाओ,
रात में चांदनी बनकर के, उतर जाती हो!"

...........चेतन रामकिशन "देव"….......
दिनांक-२८.०१.२०१४

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