♥♥♥♥♥मन में जब...♥♥♥♥♥
मन में जब विश्वास नहीं हो!
कोई रिश्ता खास नहीं हो!
दर्द लगे तब तक मामूली,
जब तक खुद आभास नहीं हो!
दरिया भी मैला लगता है,
जो अधरों को प्यास नहीं हो!
इंतजार की कहाँ जरुरत,
अगर किसी की आस नहीं हो!
पूजा और इबादत फीकी,
सच का जब तक वास नहीं हो!
आसमान वो क्या नापेंगे,
जिनको उड़ना रास नहीं हो!
मंजिल हमसे दूर रहेगी,
जब तक हिम्मत पास नहीं हो!
कौन भले कौसे किस्मत को,
गर लफ्जों में काश नहीं हो!
"देव" वहीँ तक अपनापन है,
जब तक के उपहास नहीं हो!"
....चेतन रामकिशन "देव"….
दिनांक-१८.०२.२०१४
मन में जब विश्वास नहीं हो!
कोई रिश्ता खास नहीं हो!
दर्द लगे तब तक मामूली,
जब तक खुद आभास नहीं हो!
दरिया भी मैला लगता है,
जो अधरों को प्यास नहीं हो!
इंतजार की कहाँ जरुरत,
अगर किसी की आस नहीं हो!
पूजा और इबादत फीकी,
सच का जब तक वास नहीं हो!
आसमान वो क्या नापेंगे,
जिनको उड़ना रास नहीं हो!
मंजिल हमसे दूर रहेगी,
जब तक हिम्मत पास नहीं हो!
कौन भले कौसे किस्मत को,
गर लफ्जों में काश नहीं हो!
"देव" वहीँ तक अपनापन है,
जब तक के उपहास नहीं हो!"
....चेतन रामकिशन "देव"….
दिनांक-१८.०२.२०१४
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