Wednesday, 19 February 2014

♥♥लहरों में घर..♥♥

♥♥♥लहरों में घर..♥♥♥
आग नहीं पानी से डर है!
बीच लहर में मेरा घर है!

ठोकर जिसको मार रहे हो,
क़दमों में वो मेरा सर है!

मिट्टी को सोना कर देता,
वक़्त बड़ा ये सौदागर है!

सात जनम का रिश्ता कर दे,
रंग भले ही चुटकी भर है!

क़र्ज़ नहीं जो चुका सकेंगे,
माँ की ममता ये कर है!

क़त्ल करो या प्यार मुझे दो,
तेरी चौखट, तेरा दर है!

रखा किताबों में जो तूने,
वो मेरे पंखों का पर है!

जान सभी में एक बराबर,
चाहे नारी, या वो नर है!

"देव" मुझे न भुला सकोगे,
मैं हूँ मिट्टी , तू हलधर है!"

....चेतन रामकिशन "देव"….
दिनांक-१९.०२.२०१४

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