Monday, 17 March 2014

♥♥प्यार के फूल…♥♥

♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥प्यार के फूल…♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥
जब दुनिया की भीड़ से हटकर, कोई अच्छा लगने लगता!
किसी की खातिर जब मन देखो, रात रात भर जगने लगता!

ऐसे बेचैनी के लम्हों को ही, प्यार कहा जाता है!
एक अनजाने से भी देखो, दिल का रिश्ता बन जाता है! 

दर्द किसी का जब दुनिया में, खुद से ज्यादा लगने लगता!
जब दुनिया की भीड़ से हटकर, कोई अच्छा लगने लगता...

जिस की खातिर मर जाने को, मिट जाने को दिल करता है!
उस इंसां के दिल से पूछो, प्यार उसे कितना करता है!

जब कोई ख्वाबों में आकर, चैन सुकूं सब ठगने लगता!
जब दुनिया की भीड़ से हटकर, कोई अच्छा लगने लगता...

वो जिसकी सूरत में रब का, वास हमें दिखने लगता है!
जिसकी खातिर कलम हमारा, प्रेम गीत लिखने लगता है!

वो जिसकी खुशबु में हमको, चन्दन शामिल लगने लगता!
जब दुनिया की भीड़ से हटकर, कोई अच्छा लगने लगता...

"देव" जहाँ से जिस इंसां से, भाव प्रेम के मिल जाते हैं!
उसको पाकर के जीवन में, फूल ख़ुशी के खिल जाते हैं!

जिसकी खातिर सावन में भी, बादल यहाँ सुलगने लगता!
जब दुनिया की भीड़ से हटकर, कोई अच्छा लगने लगता! "

....................चेतन रामकिशन "देव"…………………..
दिनांक- १७.०३.२०१४

1 comment:

संजय भास्‍कर said...

जिसकी खातिर सावन में भी, बादल यहाँ सुलगने लगता!
जब दुनिया की भीड़ से हटकर, कोई अच्छा लगने लगता! "

... खुबसूरत भावात्मक रचना !!