Monday, 3 March 2014

♥दिल में है सैलाब...♥♥♥

♥♥♥♥दिल में है सैलाब...♥♥♥♥♥♥
दिल में है सैलाब, नयन में पानी है! 
दिन बोझिल था, मेरी रात पुरानी है!

झूठ को चोला ओढ़ के कितने दिन जीना,
एक दिन सच के हाथों मुंह की खानी है! 

माँ बाबा को यहाँ भटकता छोड़ गया,
जिसको सारी दुनिया कहती दानी है!

वो क्या जीते मुश्किल के हालातों से,
हार किसी ने बिना लड़े जो मानी है!

यहाँ होंसलों से दीये जल जाते हैं,
मंजर चाहें कितना भी तूफानी है!

वो मुझको ज्यादा है, खूं के रिश्तों से,
जिसने मेरे दिल की हालत जानी है!

प्यार था जिसको, उसने दुख पहचान लिया,
सारी दुनिया जिस गम से बैगानी है!

पत्थर में भी फूल खिलाकर रहता है,
जिसने कुछ बेहतर करने की ठानी है!

"देव" मेरे दिल में, आकर क्या पाओगे,
घाव हैं गहरे और बाकी वीरानी है!"

........चेतन रामकिशन "देव"…......
दिनांक-०३.०३.२०१४

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