Tuesday, 1 April 2014

♥दर्द की दुकान…♥♥

♥♥♥♥दर्द की दुकान…♥♥♥♥♥
मुझमें थोड़ी सी जान रहने दो!
दर्द की ये दुकान रहने दो!

गा सकूँ जो मैं अपनी ग़ज़लों को,
ग़म का साजोसामान रहने दो!

फिर न करना जफ़ा किसी के संग,
दिल में इतना ईमान रहने दो!

सोने चांदी की ख्वाहिशें न मुझे,
मेरा कच्चा मकान रहने दो!

घाव लफ्ज़ों का न भरे जल्दी,
अपने वश में जबान रहने दो!

चांदनी से बदन को धो लो मगर,
दिल पे ग़म के निशान रहने दो!

"देव" मिलने पे न चुराना नजर,
आज बेशक गुमान रहने दो!"

.....चेतन रामकिशन "देव"…..
दिनांक- ०१.०४.२०१४

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