Saturday, 26 April 2014

♥♥ठहराव...♥♥

♥♥♥♥♥♥♥♥ठहराव...♥♥♥♥♥♥♥♥♥
कलम थमेगा तो ठहराव बहुत होगा!
अश्क़ों का खारा सैलाब बहुत होगा!

फूल नहीं बरसाना मेरे दामन पर,
छिल जायेगा तन ये घाव बहुत होगा!

टाट लपेटो रिसते खूँ को रोको तुम,
गिरा जमीं पर तो फैलाव बहुत होगा!

आज ही अपना कफ़न खरीदा मंदे में,
कल महंगाई बढ़ी तो भाव बहुत होगा!

मैं जिन्दा हूँ लेकिन दाम चवन्नी है,
लेकिन उनका बुत नायाब बहुत होगा! 

ग़म की आग में झुलसी मेरी जवानी पर,
सब कहते हैं, हाँ रुआब बहुत होगा!

"देव" मेरे रुख़सत होने पर मत रोना,
तुझे रोशनी को महताब बहुत होगा!"

........चेतन रामकिशन "देव"............
दिनांक-२६.०४.२०१४ 

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