Tuesday 10 June 2014

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नदी हमारे मन में बहती, और धारा थल पे दिखती है!
प्रेम भरे जल के अणुओं से, गतिशील जीवन लिखती है!

जल जीवन है, और बिन जल के जीवन ये मुश्किल होता!
और जहाँ प्रेम के हाथों, हर नफ़रत का हल होता है!

जल धारा की नमी धरा पर, हरियाली का सुख लिखती है!
नदी हमारे मन में बहती, और धारा थल पे दिखती है! "

...................चेतन रामकिशन "देव"….….................
दिनांक- १०.०६.२०१४
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3 comments:

वाणी गीत said...

नदी की नमी हरियाली का सुख !
अच्छा लिखा !

Asha Joglekar said...

नदी जीवन दायिनी है।

chetan ramkishan "dev" said...

"
आप सभी का हृदय से आभारी हूँ "