♥♥♥♥♥♥♥♥जरा आ जाओ...♥♥♥♥♥♥♥♥
चाँद आकाश में गुमसुम है, जरा आ जाओ!
बुझते दीपों में जरा रोशनी जगा जाओ!
बिन तेरे एक भी लम्हा नहीं कटता मेरा,
मैं जिधर देखूं, मुझे तुम ही तुम नज़र आओ!
मैं भी चाहता हूँ कलम, पाये तवज्जो मेरी,
मेरे लफ्जों में ग़ज़ल बनके, तुम समां जाओ!
देखकर हमको कसे तंज, जमाना न कोई,
मुझको तुम ऐसे जहाँ में, जरा लेकर जाओ!
तेरी चूड़ी की खनक, आज तलक याद मुझे,
अपनी चूड़ी को निशानी में मुझे दे जाओ!
ये जहाँ इतना बड़ा, तुम बिना अधूरा है,
एक लम्हे को भी न छोड़कर, मुझे जाओ!
"देव" तुमसे है लगन है , दिल मेरे जज़्बातों की,
अपना एहसास मेरी सांस में पिरो जाओ! "
...............चेतन रामकिशन "देव"...........
दिनांक-१९.०७ २०१४
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