Thursday, 4 September 2014

♥♥शब्द की संगिनी..♥♥

♥♥♥♥शब्द की संगिनी..♥♥♥♥♥
शब्द की संगिनी बने कविता!
रूह की रोशनी बने कविता!
भाव मन पर असर करें ऐसे,
प्रेम की भाषिनी बने कविता!

काव्य होगा तो मन धवल होगा!
मन में एहसास का कमल होगा!
शब्द गूंजेंगे आसमानों में,
ओज भावों में फिर नवल होगा! 

रंग फूलों का है खिल गया है सुनो,
नम्रता, नंदिनी बने कविता!

शब्द की संगिनी बने कविता....

काव्य होगा तो गीत भी होंगे!
प्रेम होगा तो मीत भी होंगे!
"देव" ये शब्द तो हैं सतरंगी,
लाल, सुरमई ये पीत भी होंगे!

भावनाओं की बांसुरी की धुन,
आस्था की नमी बने कविता!

शब्द की संगिनी बने कविता,
रूह की रोशनी बने कविता! "

.......चेतन रामकिशन "देव"…...
दिनांक-०४.०९. २०१४

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