♥♥♥♥♥कोई अफ़साना नहीं...♥♥♥♥♥♥
कोई अफ़साना नहीं है, ये हक़ीक़त देखो,
रोज ही भूख से बच्चों की मौत होती है!
सर पे छप्पर भी नहीं, पेट में नहीं रोटी,
मुफ़लिसी देश में चीखों के साथ रोती है!
कब दरिंदा कोई बेटी को उठा ले जाये,
माँ इसी डर से यहाँ जागकर के सोती है!
लोग बदले हैं, बदलते हैं, बदलते होंगे,
ऐसे धोखे से कहाँ रूह, ये खुश होती है!
झूठ को सच भी बोल दूँ, तो सच नही मरता,
झूठ की दुनिया की तो, शीशे की तरह होती है!
रंग, दौलत से, ही कोई बड़ा नहीं बनता,
यहाँ अच्छाई तो उल्फत से बुनी होती है!
"देव" उस शै को दुआ एक भी नहीं मिलती,
आदमी काटके जो, खूं से फसल बोती है! "
...........चेतन रामकिशन "देव"…..........
दिनांक-१२.०९.२०१४
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