Tuesday, 9 September 2014

♥न दीया है...♥♥

♥♥♥♥न दीया है...♥♥♥♥♥
न दीया है न और बाती है!
ये अँधेरा ही उनका साथी है!
जागकर रात मुफ़लिसों की कटे,
भूख में नींद किसको आती है!

तंगहाली में सांस भारी है!
जिंदगी बिन दवा के हारी है!
छीन लेते ले हैं, हक़ गरीबों का,
ऐसा आलम है, लूटमारी है!

लूटने वाले हैं यहाँ पर खुश,
और मुफ़लिस की जान जाती है!

न दीया है न और बाती है...

कोई सरकार न सुने उसकी,
सबको बस अपना होश रहता है!
"देव" मुफ़लिस की जिंदगी है कठिन,
न उम्मीदें, न जोश रहता है!

हर कोई दुश्मनी रखे हमसे,
जिंदगी इस कदर सताती है!

न दीया है न और बाती है....

......चेतन रामकिशन "देव"…...
दिनांक-०९.०९.२०१४  ०

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