♥♥♥♥♥♥जीने का जतन....♥♥♥♥♥♥♥♥
चलो हर हाल में जीने का, जतन करते हैं।
भूल न हो के दुबारा, ये मनन करते हैं!
जैसे हम खुशियों को, अपने गले लगाते हैं,
आओ वैसे ही चलो, दुख को वहन करते हैं।
हार आतीं हैं मगर, जीत की लगन रखना।
खून में अपने होंसले की, तुम अगन रखना!
दर्द होता है अगर, उसकी दवा ढूंढो तुम,
अपनी नज़रों में उड़ानों का, तुम गगन रखना।
मुश्किलों को भी चलो हँसके, सहन करते हैं।
चलो हर हाल में जीने का, जतन करते हैं।
हर किसी को यहाँ सब कुछ ही नहीं मिलता है।
फूल हर रोज ही खुशियों का नहीं खिलता है।
"देव" उम्मीद के दीये, मगर बुझाओ मत,
मन के विश्वास से, पर्वत भी यहाँ हिलता है।
जीते जी आओ निराशा का, दहन करते हैं।
चलो हर हाल में जीने का, जतन करते हैं। "
..........चेतन रामकिशन "देव"…..........
दिनांक- ०८.१०.२०१४
चलो हर हाल में जीने का, जतन करते हैं।
भूल न हो के दुबारा, ये मनन करते हैं!
जैसे हम खुशियों को, अपने गले लगाते हैं,
आओ वैसे ही चलो, दुख को वहन करते हैं।
हार आतीं हैं मगर, जीत की लगन रखना।
खून में अपने होंसले की, तुम अगन रखना!
दर्द होता है अगर, उसकी दवा ढूंढो तुम,
अपनी नज़रों में उड़ानों का, तुम गगन रखना।
मुश्किलों को भी चलो हँसके, सहन करते हैं।
चलो हर हाल में जीने का, जतन करते हैं।
हर किसी को यहाँ सब कुछ ही नहीं मिलता है।
फूल हर रोज ही खुशियों का नहीं खिलता है।
"देव" उम्मीद के दीये, मगर बुझाओ मत,
मन के विश्वास से, पर्वत भी यहाँ हिलता है।
जीते जी आओ निराशा का, दहन करते हैं।
चलो हर हाल में जीने का, जतन करते हैं। "
..........चेतन रामकिशन "देव"…..........
दिनांक- ०८.१०.२०१४
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