♥♥♥♥♥तेरी नज़दीकी...♥♥♥♥♥♥
रात आकाश को छुपाने लगी।
मुझको भी तेरी याद आने लगी।
तेरी सूरत को और दमक देने,
चांदनी फिर जमीं पे आने लगी।
तू जो आई जो मेरी देहरी पर,
दीप की लौ भी खिलखिलाने लगी।
तेरी नज़दीकी का असर पाकर,
जिंदगी सारे ग़म भुलाने लगी।
हर तरफ पर फूल खिल गए जबसे,
प्यार की दुनिया तू वसाने लगी।
हर घड़ी तेरा ही तसुव्वर है,
रूह में जब से तू समाने लगी।
"देव" सर मेरा गोद में रखकर,
प्यार से मुझको तू सुलाने लगी। "
........चेतन रामकिशन "देव"………
दिनांक-१७.१०.२०१४
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