Friday, 26 December 2014

♥फूल की देह...♥


♥♥♥♥फूल की देह...♥♥♥♥♥♥
पूर्णिमा हो के चांदनी तुम हो। 
इन चिरागों की रोशनी तुम हो। 
तुम को छुकर के मैं महकने लगूं,
फूल की देह सी बनी तुम हो। 

आँख प्यारी हैं और सूरत भी। 
तुम सवेरे सी खूबसूरत भी। 
रूह को तेरी प्यास है हरदम,
मेरी ख्वाहिश हो और जरुरत भी। 

प्यार की सम्पदा तेरे दिल में,
सोने चांदी से भी धनी तुम हो। 

पूर्णिमा हो के चांदनी तुम हो...

तेरे होने से ही खिले आँगन। 
तुमको पाकर के झूमता है मन। 
"देव" ख़त तेरे प्यार के मोती,
तेरे चित्रों को चूमता है मन। 

मुश्किलों ने कभी जो घेरा तो,
ढ़ाल बन साथ में तनी तुम हो। 
पूर्णिमा हो के चांदनी तुम हो। 
इन चिरागों की रोशनी तुम हो। "

........चेतन रामकिशन "देव"……
दिनांक--२६.१२.२०१४

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