♥♥♥♥♥जनम जनम का प्यार...♥♥♥♥♥
हर पल मैं दीदार तुम्हारा चाहता हूँ।
जनम जनम का प्यार तुम्हारा चाहता हूँ।
अलंकार से जैसे कविता दमक रही,
वैसे ही सिंगार तुम्हारा चाहता हूँ।
जब मंजिल पा लूँ तो अपनी तोहफे में,
मैं बाँहों का हार तुम्हारा चाहता हूँ।
मुझको इज़्ज़त बख्शे मौला हाँ लेकिन,
पहले मैं सत्कार तुम्हारा चाहता हूँ।
प्यार तुम्हारा सागर मेरे शब्द नदी,
पर फिर भी आभार तुम्हारा चाहता हूँ।
अपना खून, पसीना, मेहनत सब देकर,
सपना हर साकार तुम्हारा चाहता हूँ।
पीड़ा, आंसू, दुख न तुमको तोड़ सके,
ताकतवर आधार तुम्हारा चाहता हूँ।
तेरा दिलासा रोते चेहरे चुप कर दे,
मैं ऐसा किरदार तुम्हारा चाहता हूँ।
"देव " यकीं है हर पल तुमसे वफ़ा करूँ,
और खुद को हक़दार तुम्हारा चाहता हूँ। "
.........चेतन रामकिशन "देव"……...
दिनांक--२०.१२.२०१४
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