Monday, 22 December 2014

♥♥यादों का दीपक...♥♥


♥♥♥♥♥♥♥♥यादों का दीपक...♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥
तेरी यादों के दीपक से, गम का कोहरा दूर किया है। 
जो कुछ तुमने बख्शा हमको, हमने वो मंजूर किया है। 
तेरी चिट्ठी, तेरे खत को, पढ़कर मैंने रात गुजारी,
तेरे लफ़्ज़ों की ख़ुश्बू में, खुद के दिल को चूर किया है। 

भले मिले न लेकिन फिर, मेरे संग संग तुम रहती हो। 
मेरी कविता और ग़ज़ल में, भावुकता बनकर बहती हो। 

बिना तुम्हारे जीवन जीना, मैंने नामंजूर किया है। 
तेरी यादों के दीपक से, गम का कोहरा दूर किया है...

अहसासों में मिल लेता हूँ, अहसासों में खो जाता हूँ। 
समझ के तकिया गोद तुम्हारी, मैं चुपके से सो जाता हूँ। 
जब आती है याद तुम्हारी, ख्वाबों के रस्ते से चलकर,
फिर तू मेरी हो जाती है और मैं तेरा हो जाता हूँ। 

बिना तुम्हारी सूरत वाला, शीशा चकनाचूर किया है। 
तेरी यादों के दीपक से, गम का कोहरा दूर किया है...

तेरा प्यार है ऊष्मा जैसा, शीत की मुझको फ़िक्र नहीं है। 
मैं नहीं सुनता उन बातों को, जिनमे तेरा जिक्र नहीं है। 
"देव" जहाँ में प्यार की नदियां, जब आपस में मिल जाती हैं,
तो पत्तों, तो फूलों पर, प्यार की बूंदे खिल जाती हैं। 

सखी तुम्हारी दुआ ने मुझको, दुनिया में मशहूर किया है। 
तेरी यादों के दीपक से, गम का कोहरा दूर किया है।

..................चेतन रामकिशन "देव"……..........
दिनांक--२२.१२.२०१४

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