♥♥♥♥♥♥♥♥♥किरदार...♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥
मेरे डूबे हुए किरदार को, पहचान दे जाओ।
चुराकर आँख से आंसू, मुझे मुस्कान दे जाओ।
तुम्हारे बिन महज मिटटी सरीखा है बदन मेरा,
मुझे छूकर मेरे मुर्दा जिस्म में, जान दे जाओ।
यहाँ सिक्कों में बिकते देखता हूँ, आदमी को मैं,
जो बोलूं, सच को जो मैं सच, वही ईमान दे जाओ।
नहीं नफरत का दामन थामने की, कोई नौबत हो,
मेरे लफ़्ज़ों को तुम अब, प्यार का उन्वान दे जाओ।
सुनो अब "देव" तुम बिन है, अधूरी जिंदगी मेरी,
मेरे जीवन में रच वसकर, ख़ुशी की खान दे जाओ। "
..................चेतन रामकिशन "देव"…...........
दिनांक--१२.०१.१५
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