Tuesday 10 February 2015

♥♥जिंदगी...♥♥


♥♥♥♥♥♥♥♥♥जिंदगी...♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥
कुछ दुआओं के सहारे, चल रही है जिंदगी। 
दर्द के सागर किनारे, चल रही है जिंदगी। 

वो नहीं आयेगा इसका, मेरे दिल को भी पता है,
क्यों उसे फिर भी पुकारे, चल रही है जिंदगी। 

खत हुये हैं राख लेकिन, याद शायद मिट न पायी,
त्यों ही लफ़्ज़ों को उभारे, चल रही है जिंदगी।  

टूटती बैसाखियां दें, दूर सब अपने हुये पर,
साथ क्यों फिर भी हमारे, चल रही है जिंदगी। 

फासलों की खाई चौड़ी, नाम के रिश्ते बचे हैं, 
झूठ के संग में गुजारे, चल रही है जिंदगी। 

आंसुओं का ब्याज देकर, क़र्ज़ गम का चुक रहा है,
बोझ को सर से उतारे, चल रही है जिंदगी। 

देखकर बर्बादियों को मेरी, वो खुश हो रहे हैं,
"देव" लेकर के अंगारे, जल रही है जिंदगी। "

.................चेतन रामकिशन "देव"…..............
दिनांक-११ .१०.२०१४


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