Wednesday, 11 March 2015

♥♥नीला आसमान...♥


♥♥♥नीला आसमान...♥♥♥
तुम से है एहसास सजीला। 
ग़ुल सरसों का तुमसे पीला। 
तुम आयीं तो दमक उठा मन,
जीवन मेरा रंग रंगीला। 
सखी प्रेम की वर्षा कर दो,
हो जाये पतझड़ भी गीला। 
हम दोनों का प्यार देखकर,
आसमान भी होता नीला। 

सखी दूर जब तुम जाती हो,
तो रोने का मन होता है। 
बिना तुम्हारे नहीं रात को,
भी सोने का मन होता है। 
हाथ थामकर तेरा जग में,
अपनी सुबहो शाम करूँ मैं,
तेरे प्यार के इन्द्रधनुष में,
बस खोने का मन होता है। 

तुमसे ही खुश होता आँगन,
तुमसे कुनबा और कबीला। 
हम दोनों का प्यार देखकर,
आसमान भी होता नीला ...

सखी परस्पर एहसासों में,
जब हम दोनों मिल जाते हैं। 
मन से ग़म का पतझड़ मिटता,
फूल ख़ुशी के खिल जाते हैं। 
"देव" तुम्हारा कुछ लम्हों का,
साथ मुझे देता है ऊर्जा,
तुमसे मिलकर खुशहाली के,
द्वार अनेकों खुल जाते हैं। 

तेरी प्रेम की ऊर्जा पाकर,
गिर जाता है ग़म का टीला। 
हम दोनों का प्यार देखकर,
आसमान भी होता नीला। "

........चेतन रामकिशन "देव".........
दिनांक-११.०३.२०१५

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