♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥अंगारे...♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥
आग लगाकर खुश होते हैं, जहर पिलाकर खुश होते हैं।
लोग यहाँ पत्थर दिल वाले, खून बहाकर खुश होते हैं।
क्या दुनिया है समझ न पाया, इसीलिए मैं मौन हुआ हूँ।
कल तक जिनका हमसाया था, आज मैं उनको कौन हुआ हूँ।
गुमसुम होकर, आँख मूंदकर, दर्द हर एक मैं सह लेता हूँ।
मेरे संग, मेरी तन्हाई, उससे दिल की कह लेता हूँ।
जो देता है यहाँ सहारा, उसे गिराकर खुश होते हैं।
लोग यहाँ पत्थर दिल वाले, खून बहाकर खुश होते हैं....
बिना जुर्म के सज़ा मिली तो, विस्फोटक तो बनना ही था।
आस छोड़कर सबकी खुद का, संकटमोचक बनना ही था।
"देव" किसी मासूम पे जग में, जब कौड़े हंटर चलते हैं।
तब ही उसके कोमल दिल में, अंगारे हर दिन जलते हैं।
नन्हीं मुन्ही हरियाली को, ख़ार बनाकर खुश होते हैं।
लोग यहाँ पत्थर दिल वाले, खून बहाकर खुश होते हैं। "
...................चेतन रामकिशन "देव"...................
दिनांक-०३.०३.२०१५
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