♥♥♥♥♥♥♥अंगारों की बारिश...♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥
अंगारों की बारिश देखी, अश्क़ों का सागर देखा है।
बिना जुर्म के सजा सही है, अपना जलता घर देखा है।
यहाँ झूठ की चले गवाही, सच की कीमत है कौड़ी में,
कातिल के क़दमों के नीचे, कानूनों का सर देखा है।
इंसानों की बोली लगती, रिश्तों का सौदा होता है।
यहाँ लोग मर जायें रोकर, नहीं किसी को दुख होता है।
रौंद की सारी मानवता को, लोग करें तेजाब की बारिश,
उजड़ेगा संसार किसी का, नहीं सोच ये डर होता है।
यहाँ भावना की अनदेखी, और साँसों पे कर देखा है।
अंगारों की बारिश देखी, अश्क़ों का सागर देखा है....
दो रोटी से रहे मयस्सर, मुफ़लिस भूखा मर जाता है।
जिसको समझो सुख की सरिता, वही दर्द से भर जाता है।
"देव" यहाँ सुनने को मिलता, प्यार खुदा का नाम जहाँ में,
तो आखिर क्यों नाम प्यार का, टुकड़े टुकड़े हो जाता है।
न सोखा एक शख़्स ने आकर, आँखों ने बहकर देखा है।
अंगारों की बारिश देखी, अश्क़ों का सागर देखा है। "
................चेतन रामकिशन "देव"....................
दिनांक-१५.०३.२०१५
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