♥♥♥♥♥कहो कुछ अब...♥♥♥♥♥♥
रात खामोश है, कहो कुछ अब।
ऐसे चुप चुप नहीं, रहो तुम अब।
मैं नदी बनके, तुममें खो जाऊं,
बनके सागर जरा, बहो तुम अब।
प्यार में हक़ है, अपनेपन का तुम्हे,
अजनबी मुझको न, कहो तुम अब।
अपने आग़ोश में समा लो मुझे,
दूरियां कोई न, सहो तुम अब।
लोग पढ़कर जो हमको याद करें,
दास्तां प्यार की, कहो तुम अब।
अपनी आँखों से तुमको छूना है,
कोई परदे में न, रहो तुम अब।
"देव" तुमको सुना दूँ हाले-दिल,
अपने जज़्बात तो, कहो तुम अब। "
......चेतन रामकिशन "देव"…….
दिनांक- १३ .०५.२०१५
" सर्वाधिकार C/R सुरक्षित। "
रात खामोश है, कहो कुछ अब।
ऐसे चुप चुप नहीं, रहो तुम अब।
मैं नदी बनके, तुममें खो जाऊं,
बनके सागर जरा, बहो तुम अब।
प्यार में हक़ है, अपनेपन का तुम्हे,
अजनबी मुझको न, कहो तुम अब।
अपने आग़ोश में समा लो मुझे,
दूरियां कोई न, सहो तुम अब।
लोग पढ़कर जो हमको याद करें,
दास्तां प्यार की, कहो तुम अब।
अपनी आँखों से तुमको छूना है,
कोई परदे में न, रहो तुम अब।
"देव" तुमको सुना दूँ हाले-दिल,
अपने जज़्बात तो, कहो तुम अब। "
......चेतन रामकिशन "देव"…….
दिनांक- १३ .०५.२०१५
" सर्वाधिकार C/R सुरक्षित। "
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