♥♥♥♥♥दूर जाने की...♥♥♥♥♥♥
दूर जाने की बात करने लगे।
तुम उदासी की रात करने लगे।
क्या मिले या नहीं मिले कुछ भी,
बिन लड़े अपनी मात करने लगे।
जिससे दिल छलनी हो, बहें आंसू,
तुम भी वो वाकयात करने लगे।
था यकीं जिनपे खुद पे ज्यादा,
वो भी गैरों सा, घात करने लगे।
हार जाऊं, मैं तेरा मंसूबा,
पीठ पीछे बिसात करने लगे।
प्यार में छोटा, क्या बड़ा कोई,
आज मजहब, क्यों जात करने लगे।
"देव" हम दोस्त थे, नहीं दुश्मन,
हमसे क्यों एहतियात करने लगे। "
.........चेतन रामकिशन "देव"………
दिनांक-१०.०७.२०१५
" सर्वाधिकार C/R सुरक्षित।
दूर जाने की बात करने लगे।
तुम उदासी की रात करने लगे।
क्या मिले या नहीं मिले कुछ भी,
बिन लड़े अपनी मात करने लगे।
जिससे दिल छलनी हो, बहें आंसू,
तुम भी वो वाकयात करने लगे।
था यकीं जिनपे खुद पे ज्यादा,
वो भी गैरों सा, घात करने लगे।
हार जाऊं, मैं तेरा मंसूबा,
पीठ पीछे बिसात करने लगे।
प्यार में छोटा, क्या बड़ा कोई,
आज मजहब, क्यों जात करने लगे।
"देव" हम दोस्त थे, नहीं दुश्मन,
हमसे क्यों एहतियात करने लगे। "
.........चेतन रामकिशन "देव"………
दिनांक-१०.०७.२०१५
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