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मुझे आंसू भी दे डाले, मेरा दिल भी दुखाया है।
किसी ने रात मेरे घर का दीपक, फिर बुझाया है।
मेरी गलती महज इतनी, मैं सच का साथ दे बैठा,
ये दुनिया झूठ की थी पर, समझ में मुझको आया है।
मगर मैं झूठ के लफ़्ज़ों को, कैसे मुंह बयानी दूँ।
बहुत सोचा के झूठे पेड़ को, कैसे मैं पानी दूँ।
बताओ "देव" कैसे बोल दूँ तेज़ाब को अमृत,
सिखाओ मैं अंधेरों को, भला क्यों जिंदगानी दूँ।
सही है झूठ तो पुस्तक में, फिर क्यों सच पढ़ाया है।
ये दुनिया झूठ की थी पर, समझ में मुझको आया है। "
........चेतन रामकिशन "देव"……
दिनांक-०१.१०.२०१५
" सर्वाधिकार C/R सुरक्षित। "
मुझे आंसू भी दे डाले, मेरा दिल भी दुखाया है।
किसी ने रात मेरे घर का दीपक, फिर बुझाया है।
मेरी गलती महज इतनी, मैं सच का साथ दे बैठा,
ये दुनिया झूठ की थी पर, समझ में मुझको आया है।
मगर मैं झूठ के लफ़्ज़ों को, कैसे मुंह बयानी दूँ।
बहुत सोचा के झूठे पेड़ को, कैसे मैं पानी दूँ।
बताओ "देव" कैसे बोल दूँ तेज़ाब को अमृत,
सिखाओ मैं अंधेरों को, भला क्यों जिंदगानी दूँ।
सही है झूठ तो पुस्तक में, फिर क्यों सच पढ़ाया है।
ये दुनिया झूठ की थी पर, समझ में मुझको आया है। "
........चेतन रामकिशन "देव"……
दिनांक-०१.१०.२०१५
" सर्वाधिकार C/R सुरक्षित। "