♥♥♥♥♥♥कश...♥♥♥♥♥♥♥
सिगरेट के धुयें के कश में।
नहीं जिंदगी मेरे वश में।
थाने, जुर्म, कचहरी कम हों,
मसले जो सुलझें आपस में।
मुश्किल हम पर भारी होंगी,
अगर कमी आयी साहस में।
मर्यादा भी तार तार है,
नेता उतरे निरा बहस में।
शबनम की एक बूंद मिली न,
गम की ज्वाला और उमस में।
औरत भी इज़्ज़त के लायक,
गुंडे भूले यहाँ हवस में।
"देव" ये लम्बी रात कटे न,
सांस घुटी हैं, यहाँ कफ़स में। "
........चेतन रामकिशन "देव"……
दिनांक-२०.०९.१५
" सर्वाधिकार C/R सुरक्षित। "
सिगरेट के धुयें के कश में।
नहीं जिंदगी मेरे वश में।
थाने, जुर्म, कचहरी कम हों,
मसले जो सुलझें आपस में।
मुश्किल हम पर भारी होंगी,
अगर कमी आयी साहस में।
मर्यादा भी तार तार है,
नेता उतरे निरा बहस में।
शबनम की एक बूंद मिली न,
गम की ज्वाला और उमस में।
औरत भी इज़्ज़त के लायक,
गुंडे भूले यहाँ हवस में।
"देव" ये लम्बी रात कटे न,
सांस घुटी हैं, यहाँ कफ़स में। "
........चेतन रामकिशन "देव"……
दिनांक-२०.०९.१५
" सर्वाधिकार C/R सुरक्षित। "
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