♥♥♥तुम्हारी पहचान...♥♥♥
हर मुश्किल आसान हो गयी।
तुमसे जो पहचान हो गयी।
उपवन में भी फूल खिले हैं,
अधरों पर मुस्कान हो गयी।
धूप गुनगुनी अच्छी लगती,
जब हम दोनों साथ चले हैं।
छंटा रात का भी अँधेरा,
हर रस्ते पे दीप जले हैं।
साथ तुम्हारा पाकर मेरे,
व्याकुल मन को चैन आ गया,
सूनी सूनी अँखियों में भी,
कितने प्यारे ख्वाब खिले हैं।
तू ही मन में स्थापित है,
तू ही तन की जान हो गयी।
उपवन में भी फूल खिले हैं,
अधरों पर मुस्कान हो गयी....
कड़ी धूप में शीतल छाया,
तुमने आँगन को महकाया।
चले थाम कर मेरी ऊँगली,
सही गलत का भेद बताया।
"देव " हमारे अंतर्मन में,
छवि तुम्हारी वसी हुयी है,
सारी दुनिया में रौनक है,
जब से तू आँखों को भाया।
मैं शामिल तेरी तेरी इज़्ज़त में,
तू मेरा सम्मान हो गयी।
उपवन में भी फूल खिले हैं,
अधरों पर मुस्कान हो गयी। "
........चेतन रामकिशन "देव"……
दिनांक-०५.०१.२०१६
" सर्वाधिकार C/R सुरक्षित। "
हर मुश्किल आसान हो गयी।
तुमसे जो पहचान हो गयी।
उपवन में भी फूल खिले हैं,
अधरों पर मुस्कान हो गयी।
धूप गुनगुनी अच्छी लगती,
जब हम दोनों साथ चले हैं।
छंटा रात का भी अँधेरा,
हर रस्ते पे दीप जले हैं।
साथ तुम्हारा पाकर मेरे,
व्याकुल मन को चैन आ गया,
सूनी सूनी अँखियों में भी,
कितने प्यारे ख्वाब खिले हैं।
तू ही मन में स्थापित है,
तू ही तन की जान हो गयी।
उपवन में भी फूल खिले हैं,
अधरों पर मुस्कान हो गयी....
कड़ी धूप में शीतल छाया,
तुमने आँगन को महकाया।
चले थाम कर मेरी ऊँगली,
सही गलत का भेद बताया।
"देव " हमारे अंतर्मन में,
छवि तुम्हारी वसी हुयी है,
सारी दुनिया में रौनक है,
जब से तू आँखों को भाया।
मैं शामिल तेरी तेरी इज़्ज़त में,
तू मेरा सम्मान हो गयी।
उपवन में भी फूल खिले हैं,
अधरों पर मुस्कान हो गयी। "
........चेतन रामकिशन "देव"……
दिनांक-०५.०१.२०१६
" सर्वाधिकार C/R सुरक्षित। "
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