Wednesday, 6 January 2016

♥♥जिद...♥♥

♥♥♥♥जिद...♥♥♥♥
अंगारों पे चलने की जिद। 
ये हालात बदलने की जिद। 
काले गहरे अँधेरे में,
दीपक बनके जलने की जिद। 

कुछ बेहतर करने की आशा,
जो जीवन में रख लेते हैं। 
वो पीड़ा का विष भी देखो,
जग में हंसकर चख लेते हैं। 
जो आँखों में ख्वाब सजाकर,
उनको दिन में पूरा करते। 
वही लोग इतिहास की देखो,
इस दुनिया में रचना करते। 

पतझड़ में भी खिलने की जिद। 
दिल से दिल के मिलने की जिद। 
काले गहरे अँधेरे में,
दीपक बनके जलने की जिद...

ऊष्मा को प्रवाहित करना। 
ऊर्जा नयी समाहित करना। 
नहीं सिमटकर होना स्वयंभू,
न केवल अपना हित करना। 

पथ में दूर निकलने की जिद। 
समय के संग में ढलने की जिद। 
काले गहरे अँधेरे में,
दीपक बनके जलने की जिद। "

........चेतन रामकिशन "देव"…… 
दिनांक-०६.०१.२०१६ 
" सर्वाधिकार C/R सुरक्षित। "  

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