♥♥अनुराग ...♥♥
मौन पढ़ा न तुमने मेरा,
अभिव्यक्ति थी अनुराग की।
तुम पर प्राण करूं न्योछावर,
यही सोच थी मेरे त्याग की।
तेरे अश्रु पी लेने को,
हर क्षण मेरा कंठ खुला था,
शब्द भाव को युग्मित करके,
रची कविता प्रेम राग की।
ये नहीं कहता के मैं ही बस ,
श्रेष्ठ समर्पण का नायक हुं।
किन्तु इतना बोध है मुझको,
मैं सच का प्रतिपालक हुं।
प्रेम भाव के इस परिपथ में,
मिथ्या कहना मुझे न भाये,
मैंने उसको सौंप दिया मन,
वो छोड़े या साथ निभाये।
मैं शीतलता का वाहक हुं,
ज्वलनशीलता नहीं आग की।
शब्द भाव को युग्मित करके,
रची कविता प्रेम राग की....
कितने स्वप्न हुए रेखांकित,
अति निकटता का अवसर था।
सागर का खारा पानी भी,
लगता था कितना मधुकर था।
अनुभूति के दीप जले थे,
रोम रोम मन का उज्जवल था।
किन्तु सच का बोध हुआ तो,
सिद्ध हुआ वो केवल छल था।
मैंने माना प्रेम को श्रद्धा,
उसने युक्ति गुना भाग की।
शब्द भाव को युग्मित करके,
रची कविता प्रेम राग की।
चेतन रामकिशन "देव"
दिनांक- ०४.०४.२०१८
(सर्वाधिकार सुरक्षित, मेरी ये रचना मेरे ब्लॉग पर पूर्व प्रकाशित)
मौन पढ़ा न तुमने मेरा,
अभिव्यक्ति थी अनुराग की।
तुम पर प्राण करूं न्योछावर,
यही सोच थी मेरे त्याग की।
तेरे अश्रु पी लेने को,
हर क्षण मेरा कंठ खुला था,
शब्द भाव को युग्मित करके,
रची कविता प्रेम राग की।
ये नहीं कहता के मैं ही बस ,
श्रेष्ठ समर्पण का नायक हुं।
किन्तु इतना बोध है मुझको,
मैं सच का प्रतिपालक हुं।
प्रेम भाव के इस परिपथ में,
मिथ्या कहना मुझे न भाये,
मैंने उसको सौंप दिया मन,
वो छोड़े या साथ निभाये।
मैं शीतलता का वाहक हुं,
ज्वलनशीलता नहीं आग की।
शब्द भाव को युग्मित करके,
रची कविता प्रेम राग की....
कितने स्वप्न हुए रेखांकित,
अति निकटता का अवसर था।
सागर का खारा पानी भी,
लगता था कितना मधुकर था।
अनुभूति के दीप जले थे,
रोम रोम मन का उज्जवल था।
किन्तु सच का बोध हुआ तो,
सिद्ध हुआ वो केवल छल था।
मैंने माना प्रेम को श्रद्धा,
उसने युक्ति गुना भाग की।
शब्द भाव को युग्मित करके,
रची कविता प्रेम राग की।
चेतन रामकिशन "देव"
दिनांक- ०४.०४.२०१८
(सर्वाधिकार सुरक्षित, मेरी ये रचना मेरे ब्लॉग पर पूर्व प्रकाशित)
6 comments:
जी नमस्ते,
आपकी लिखी रचना शुक्रवार ६ अप्रैल २०१८ के लिए साझा की गयी है
पांच लिंकों का आनंद पर...
आप भी सादर आमंत्रित हैं...धन्यवाद।
वाह!!! बहुत खूब.... बहुत सुन्दर रचना
सम्मानित कवयित्री श्वेता जी,आपने मेरी कविता को अपने ब्लॉग पर अंकन किया, हृदय की कन्दराओं से आभारी हूँ साथ ही सम्मानित नीतू जी प्रसंशा हेतु आपका भी धन्यवाद करता हूँ।
बहुत ही सुंदर रचना
बहुत सुन्दर लाजवाब...
वाह!!!
sundar poetry......
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