Friday, 25 March 2011

♥ ♥ ♥ ♥ ♥ ♥ ♥ ♥ ♥ ♥ ♥ ♥ प्यार( बदलता स्वरूप)♥ ♥ ♥ ♥ ♥ ♥ ♥ ♥ ♥ ♥
"इन हाथों में प्यार की रेखा, जिन्दा अब तो बची नहीं है!
सूख गयी है मेहंदी लकिन, रंगहीन है रची नहीं है!
हर सपना अब टूट गया है, और नहीं अब चैन बचा है,
रातों को रोती ये अंखियाँ, निंदिया इनमे बची नहीं है!

प्यार में अक्सर क्यूँ होता है, अपने ही क्यूँ बनते दुश्मन!
क्यूँ दिल को तड़पाते हैं वो, क्यूँ आँखों को देते उलझन!

प्यार की होली चौराहे पे, इस तरहा ही जलती है अब!
उसके बिन ये रूह हमारी, पल पल रोज सिसकती है अब!

क्या मैं बोलूं, क्या में लिखूं, अब हाथों में खून नहीं है!
रहता हूँ खोया खोया सा, एक पल को भी सुकूं नहीं है........ ♥ ♥ ♥ ♥ ♥ ♥

प्यार यहाँ अब जात से होता, प्यार में मजहब देखा जाता!
प्यार में देखी जाती दौलत, बड़ा घरोंदा देखा जाता!
प्यार में अब तो झूठ बहुत है, सच्चाई का नाम नहीं है,
प्यार की शुद्ध भावना को भी, कदमों नीचे रौंदा जाता!

प्यार में अक्सर क्यूँ होता है, अपने ही क्यूँ बनते दुश्मन!
क्यूँ जलता है दिल नफरत से, क्यूँ जलता है इसमें योवन!

ये रंगोली चौराहे पर, क़दमों तले कुचलती है अब!
उसके बिन ये रूह हमारी, पल पल रोज सिसकती है अब!

"देव" तेरी इन रचनाओं में, होता कोई जूनून नहीं है!
क्या मैं बोलूं, क्या में लिखूं, अब हाथों में खून नहीं है…..♥ ♥ ♥ ♥ ♥ ♥

क्या मैं बोलूं, क्या में लिखूं, अब हाथों में खून नहीं है!
रहता हूँ खोया खोया सा, एक पल को भी सुकूं नहीं है!”

" आज लोगों ने अपने निज स्वार्थ के लिए प्रेम का स्वरूप कलुषित कर दिया है! जबकि प्रेम एक अविरल प्रवाहित होने वाली अमृत धारा है! तो आइये हम सब अपनी सोच बदलते हुए, प्रेम को फिर से सुनहरा आवरण धारण करायें!- चेतन रामकिशन(देव)"

नोट: यह रचना मेरे ब्लॉग www.chetankavi.blogspot.com में पूर्व प्रकाशित हो चुकी है |
"सर्वाधिकार सुरक्षित"




♥ ♥ ♥ ♥ ♥ ♥ ♥ ♥ ♥ ♥ ♥ ♥ Love (changed format) ♥ ♥ ♥ ♥ ♥ ♥ ♥ ♥ ♥ ♥
"Love in the hands of the line is left alive now!
Lain has dried henna, is colorless and is not planned!
Every dream is broken now, no longer rest is left
Nights weeping eyes, left these, do not sleep!

Love is often why, why becoming your own enemy!
Why do they hurt the heart, why do the eyes confused!

Book of love at the crossroads, such as burning now!
Without it our soul, every moment is crying every day now!

I say, what to write, is now in the hands of blood!
Lost Lost live, not a moment too peace……..♥ ♥ ♥ ♥ ♥ ♥

Now here would love to cast, religion is seen in love!
Love is seen in the wealth, is seen a big house!
Much in love now lies, the truth is not the name,
Pure spirit of love, too, are trampled under foot!

Love is often why, why becoming your own enemy!
Why heart burns with hatred, why this young burns!

The Book of love at the crossroads, foot are now buried under!
Without it our soul, every moment is crying every day now!

"Dev" in your compositions, is not an obsession!
I say, what to write, is now in the hands of blood….♥ ♥ ♥ ♥ ♥ ♥

I say, what to write, is now in the hands of blood!
Lost Lost live, not a moment too peace!”

"Today people who love the nature of its property interests to have foul! the love with acontinuous flowing stream is immortal! So come all of us changing our thinking, givelove to wear again holding golden cover! - chetan ramkishan (Dev) "
Note: The creation www.chetankavi.blogspot.com my blog has been published in the before|
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