"♥♥♥♥♥♥♥♥...नहीं देश से प्यार ♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥
हमको अपने हित से मतलब, नहीं देश से प्यार |
हमको मतलब नहीं देश की कैसी हो सरकार |
हमको क्या ये देश बिके या हो जाये ये राख,
इसी सोच से इस भारत के टुकड़े हुए हजार |
देश प्रेम का समझ न पाए हम जीवन में अर्थ |
ऐसा जीवन तो निष्फल है और साँस भी व्यर्थ |
माँ जननी के करुण रुदन की हम न सुने पुकार |
हमको अपने हित से मतलब, नहीं देश से प्यार.....
जात धर्म के नाम पे करते हम अपना मतदान |
खुद की झोली भरे भले ही देश का हो नुकसान |
अपनेपन की सोच नहीं है समरसता बेजान,
हम अब खुद ही बेच रहे हैं अपना हिंदुस्तान |
माँ जननी का ह्रदय दुखाकर हम गाते हैं गीत |
अब तो मन में नहीं रही है माँ जननी से प्रीत |
देश का नक्शा नहीं नयन में, याद नहीं आकार |
हमको अपने हित से मतलब, नहीं देश से प्यार...
प्रेम जगाओ माँ जननी से, नहीं करो अपमान |
देश की इज्जत होती ऐसी, जैसे माँ का मान |
"देव" यदि न बदलोगे तुम अपने मन की सोच,
मिट जायगी कुछ वर्षों में, देश की हर पहचान |
देश को सबसे ऊपर रखकर, लो मन में संकल्प |
माँ जननी सा नहीं दूसरा, न ही कोई विकल्प |
देश प्रेम के मधुर भाव की, हरदम करें फुहार |
हमको अपने हित से मतलब, नहीं देश से प्यार |"
"सोचिये हम कहाँ हैं? क्या देश के प्रति हमारा कोई उत्तरदायित्व नहीं है? क्या हम केवल अपने हित साधने के लिए इस पवित्र भूमि पर जन्मे हैं | चिंतन तो करना होगा, वरना ये देश आने वाले कुछ समय में फिर से देशी और विदेशी ताक़तों का गुलाम होगा |- चेतन रामकिशन "देव"
हमको अपने हित से मतलब, नहीं देश से प्यार |
हमको मतलब नहीं देश की कैसी हो सरकार |
हमको क्या ये देश बिके या हो जाये ये राख,
इसी सोच से इस भारत के टुकड़े हुए हजार |
देश प्रेम का समझ न पाए हम जीवन में अर्थ |
ऐसा जीवन तो निष्फल है और साँस भी व्यर्थ |
माँ जननी के करुण रुदन की हम न सुने पुकार |
हमको अपने हित से मतलब, नहीं देश से प्यार.....
जात धर्म के नाम पे करते हम अपना मतदान |
खुद की झोली भरे भले ही देश का हो नुकसान |
अपनेपन की सोच नहीं है समरसता बेजान,
हम अब खुद ही बेच रहे हैं अपना हिंदुस्तान |
माँ जननी का ह्रदय दुखाकर हम गाते हैं गीत |
अब तो मन में नहीं रही है माँ जननी से प्रीत |
देश का नक्शा नहीं नयन में, याद नहीं आकार |
हमको अपने हित से मतलब, नहीं देश से प्यार...
प्रेम जगाओ माँ जननी से, नहीं करो अपमान |
देश की इज्जत होती ऐसी, जैसे माँ का मान |
"देव" यदि न बदलोगे तुम अपने मन की सोच,
मिट जायगी कुछ वर्षों में, देश की हर पहचान |
देश को सबसे ऊपर रखकर, लो मन में संकल्प |
माँ जननी सा नहीं दूसरा, न ही कोई विकल्प |
देश प्रेम के मधुर भाव की, हरदम करें फुहार |
हमको अपने हित से मतलब, नहीं देश से प्यार |"
"सोचिये हम कहाँ हैं? क्या देश के प्रति हमारा कोई उत्तरदायित्व नहीं है? क्या हम केवल अपने हित साधने के लिए इस पवित्र भूमि पर जन्मे हैं | चिंतन तो करना होगा, वरना ये देश आने वाले कुछ समय में फिर से देशी और विदेशी ताक़तों का गुलाम होगा |- चेतन रामकिशन "देव"