♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥सिर्फ तुम....♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥
बिना तुम्हारे मेरे हमदम, मैं हूँ इक पत्थर की मूरत,
इस दुनिया में बिना रूह के तन का कोई मोल नहीं है!
किसी और के पीछे देखो, नहीं भागता मेरा मनवा,
मेरे दिल में खोट न कोई, नियत डांवा-डौल नहीं है!"
..............चेतन रामकिशन "देव".......................
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