Monday, 19 March 2012

♥मुफ़लिसी के ज़ख्म..♥

♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥मुफ़लिसी के ज़ख्म..♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥ 
मुफ़लिस के ज़ख्मों से देखो, बूंद खून की रिसती रहती!
उसके जीवन की डोरी भी, भूख प्यास से घिसती रहती!
इस दुनिया में मुफलिस के, हालातों का ऐसा आलम है,
उसकी तो हर एक खुशी ही, गम के हाथों पिसती रहती!"
........"शुभ-दिन".........चेतन रामकिशन "देव"...........

1 comment:

Kailash Sharma said...

बहुत सुंदर...