♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥रिमझिम बूंदे..♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥
सावन की रिमझिम बूंदों से, भीग रहा है, मेरा तन-मन!
कृषक भी खुश, पंछी भी खुश, सचमुच प्यारा होता सावन!
सावन की सुन्दर बेला में, नव अंकुर को जन्म मिला है!
पत्तों पर शबनम बिखरी है, इन्द्रधनुष सा रंग खिला है!
बागों में सावन के झूले, लगते हैं कितने मनभावन!
सावन की रिमझिम बूंदों से, भीग रहा है, मेरा तन-मन!"
..................चेतन रामकिशन "देव"........................
1 comment:
बहूत सुंदर सावनी रचना:-)
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