Tuesday, 31 July 2012

♥दर्द(शक्तिपुंज)♥


♥♥♥दर्द(शक्तिपुंज)♥♥♥
दर्द बहुत सहना सीखा है!
आंसू बन बहना सीखा है!
लेकिन इसी दर्द से मैंने,
जिंदादिल रहना सीखा है!

दर्द मिला है जब से दिल को,
तब से हिम्मत बढ़ी हमारी!
और हमने आंसू से सींची,
ये अपने जीवन की क्यारी!

हमने दर्द के इन शब्दों से,
सच को सच कहना सीखा है!
लेकिन इसी दर्द से मैंने,
जिंदादिल रहना सीखा है!

ये सच है एक दौर में,
पीड़ा ने नाकामी दी थी!
मुझे रुलाया था जी भरके,
तूफान और सुनामी दी थी!

फिर भी देखो इसी दर्द से,
खुशबु बन बहना सीखा है!
लेकिन इसी दर्द से मैंने,
जिंदादिल रहना सीखा है!"

" दर्द-जब जीवन मिला है तो दर्द भी मिलना स्वाभाविक ही है! ये सच है कि दर्द की सुनामी की गति अत्यंत तीव्र होती है, किन्तु यदि उस तीव्रता के प्रकाश को शक्तिपुंज की तरह अपने में समाहित कर लिया जाये तो यक़ीनन, दर्द हमे मजबूत करता है! तो आइये दर्द को शक्तिपुंज बनायें!"

चेतन रामकिशन "देव"
दिनांक-०१.०८.२०१२

रचना मेरे ब्लॉग पर पूर्व प्रकाशित!

1 comment:

मेरा मन पंछी सा said...

बहुत बेहतरीन
दर्द ने ही जीवन को निखारा है...
:-)