♥♥♥♥♥सावन की मुलाकात..♥♥♥♥♥♥
बड़ी हरियाली है, सावन की घटा छाई है!
मुझसे मिलने जो मेरी सजनी चली आई है!
बड़ी सुन्दर, बड़े प्यारे से, निखरते रंग में,
मानो तो चांदनी, धरती पे उतर आई है!
आपके रूप के चर्चे हैं, सारे फूलों में,
देखकर तुम को सखी, हर कली मुस्काई है!
अपने शब्दों से तुम्हें, कैसे अलंकृत कर दूँ,
मेरे शब्दों में सखी, तू ही तो समाई है!
तेरी आँखों में सखी, मैंने झांककर देखा,
उनमे मेरी मूरत है मेरी, मेरी ही परछाई है!"
...........चेतन रामकिशन "देव".................
बड़ी हरियाली है, सावन की घटा छाई है!
मुझसे मिलने जो मेरी सजनी चली आई है!
बड़ी सुन्दर, बड़े प्यारे से, निखरते रंग में,
मानो तो चांदनी, धरती पे उतर आई है!
आपके रूप के चर्चे हैं, सारे फूलों में,
देखकर तुम को सखी, हर कली मुस्काई है!
अपने शब्दों से तुम्हें, कैसे अलंकृत कर दूँ,
मेरे शब्दों में सखी, तू ही तो समाई है!
तेरी आँखों में सखी, मैंने झांककर देखा,
उनमे मेरी मूरत है मेरी, मेरी ही परछाई है!"
...........चेतन रामकिशन "देव".................
1 comment:
बहूत खूब ||
सावन में प्रेम का रंग लिये
सुंदर - मनभावन रचना...
:-)
please remove word verification:-)
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