Friday, 24 August 2012

♥♥♥♥♥♥♥दिल का एहसास...♥♥♥♥♥♥♥♥
दिल के एहसास को कैसे मैं बदल सकता हूँ!
हमसफर आपके बिन कैसे मैं चल सकता हूँ!

मैं अगर दीप हूँ तो तुम मेरी बाती जैसी,
बिना बाती के भला, कैसे मैं जल सकता हूँ!

तुमको ही देखके, दीवानगी बढती मेरी,
हर किसी के लिए, कैसे मैं मचल सकता हूँ!

आपके प्यार से खुशबू है मेरे जीवन में,
प्यार के फूल को, कैसे मैं मसल सकता हूँ!

अपने दिल पे जो मैंने नाम लिखा है तेरा,
"देव" इस नाम को, कैसे मैं बदल सकता हूँ!"

..........चेतन रामकिशन "देव".............

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