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आओ चलो आकाश में आओ, हम इतना ऊँचा उड़ते हैं,
जहाँ नज़र की पहुँच में देखो, दंगा और फसाद नहीं हो!
पंख पसारे साथ रहें हम, एक दूजे के साथ हमेशा,
भूले से भी इन हाथों से, अपनायत बरबाद नहीं हो!"
♥♥♥♥♥♥♥चेतन रामकिशन "देव"♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥
1 comment:
सुंदर भाव .......चेतन जी !
पर अब आपकी ऊँची उड़ान कहाँ खो गयी ...??
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