Sunday, 30 September 2012


♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥मन का रिश्ता.♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥
प्रेम से पूर्ण रखो ह्रदय को, द्वेष से मुक्त रखो तुम मन को!
मन से मन का रिश्ता जोड़ो, न देखो तुम केवल तन को!

धन, दौलत, सोने, चांदी से, न आंको अच्छाई किसी की,
धन-दौलत को धवल मानकर, नहीं स्याह समझो निर्धन को!

तुम मदिरा और नशे में बहकर, न मुंह मोड़ो कर्तव्यों से,
तुम बनकर के नशे के आदी, नहीं नाश करना यौवन को!

तुम जीवन के पदचिन्हों में, इतना आकर्षण तो भर दो,
लोग जो तुमसे प्रेरित होकर, करें सफल अपने जीवन को!

"देव" निराशा से तुम अपने, जीवन की हिम्मत न हारो,
एक दिन अपनी मेहनत से तुम, कर लोगो के स्पर्श गगन को!"

..."शुभ-दिन".............चेतन रामकिशन "देव".....................

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