Friday, 19 October 2012


♥♥♥♥♥♥♥♥उनकी जुदाई.♥♥♥♥♥♥♥♥♥
उनकी जुदाई का बड़ा, गहरा असर हुआ!
मंजिल भी खो गईं सभी, सुनसान घर हुआ!

आँखों से अश्क बहते हैं, सांसों में चुभन है,
बिन उनके जिंदगी का ये मुश्किल सफर हुआ!

आया जो बुरा वक़्त तो हालात ये हुए,
अपनों की तरह अजनबी मेरा शहर हुआ!

अख़बारों में भी छपते हैं दमदार के बयां,
अख़बार भी मजलूमों से अब बेखबर हुआ!

अब "देव" कौन किसके लिए फिक्रमंद है,
गुम अपने में देखो यहाँ, हर इक बशर हुआ! "
..........(चेतन रामकिशन "देव")............

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