♥♥♥♥♥फासले...♥♥♥♥♥♥
फासले पास में नहीं रखना।
दर्द, एहसास में नहीं रखना।
मैं पुकारूँ जो और तुम न मिलो,
खुद को वनवास में नहीं रखना।
चाँद हो तुम, मगर कभी खुद को,
दूर आकाश में नहीं रखना।
जो मेरा दिल कहे वो दे दो तुम,
बात कोई काश में नहीं रखना।
लिखो, चिपकाओ और मुझे भेजो,
ख़त को अवकाश में नहीं रखना।
पत्तियां, फूल जो तरसते रहें,
सूखा मधुमास में नही रखना।
"देव " देरी हो पर नहीं दूरी,
खुद को प्रवास में नहीं रखना। "
......चेतन रामकिशन "देव"……...
दिनांक-२५.११.२०१४
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