♥♥♥♥♥♥कविता...♥♥♥♥♥♥
सखी को सौंपे प्यार कविता।
दुश्मन को अंगार कविता।
निर्धन के अधिकार की वाणी,
सच्ची और खुद्दार कविता।
कविता मन में और चेतन में।
कविता फूलों के आँगन में।
कविता तो है भाव मखमली,
कभी जवानी और बचपन में।
दूर दराजे फौजी को है,
माँ ममता का तार कविता ।
निर्धन के अधिकार की वाणी,
सच्ची और खुद्दार कविता....
कविता ज्योति, कविता मोती।
कविता मन में खुशियां बोती।
"देव" कविता है उजियारा,
धवल चाँद सी उज्जवल होती।
एक दूजे को प्यार बाँचती,
चंदा में दीदार कविता।
निर्धन के अधिकार की वाणी,
सच्ची और खुद्दार कविता। "
........चेतन रामकिशन "देव"…….....
दिनांक--08.12.2014
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