♥♥♥♥♥दिवाली...♥♥♥♥♥♥♥♥
दीप घर घर जलें दिवाली पर।
लोग दिल से मिलें दिवाली पर।
सूरतें सबकी चाँद जैसी खिलें,
चांदनी हम मलें दिवाली पर।
हमसफ़र हो नहीं किसी का जुदा,
साथ, संग संग चलें दिवाली पर।
एक दिन का ही बस उजाला नहीं,
ऐसे ज़ज़्बे पलें दिवाली पर।
मुफ़लिसों को भी मिल सके जो दवा,
घाव फिर न छिलें दिवाली पर।
नहीं औरत को जानवर कुचले,
अश्क़ न फिर मिलें दिवाली पर।
"देव " चाहत के साथ हो न दगा,
नहीं अरमां छलें दिवाली पर। "
...........चेतन रामकिशन "देव"……...
दिनांक- २२.१०.२०१
दीप घर घर जलें दिवाली पर।
लोग दिल से मिलें दिवाली पर।
सूरतें सबकी चाँद जैसी खिलें,
चांदनी हम मलें दिवाली पर।
हमसफ़र हो नहीं किसी का जुदा,
साथ, संग संग चलें दिवाली पर।
एक दिन का ही बस उजाला नहीं,
ऐसे ज़ज़्बे पलें दिवाली पर।
मुफ़लिसों को भी मिल सके जो दवा,
घाव फिर न छिलें दिवाली पर।
नहीं औरत को जानवर कुचले,
अश्क़ न फिर मिलें दिवाली पर।
"देव " चाहत के साथ हो न दगा,
नहीं अरमां छलें दिवाली पर। "
...........चेतन रामकिशन "देव"……...
दिनांक- २२.१०.२०१